Monday, September 19, 2011

पर ख़ुशी न मिली मुझे ख़ुशी न मिली

ख़ुशी की चाह में कितनी राहें चुनी
उम्मीद की हद तक मै चला भी उन पर
हर राह मै ढूँढा हर ओर पुकारा
पर ख़ुशी न मिली मुझे ख़ुशी न मिली

सोचा के लोग इतना खुश कैसे रह लेते हैं
इतने गमो को कैसे हँस कर सह लेते हैं
सोचते सोचते मेरी उम्र बीत गयी
पर ख़ुशी न मिली मुझे ख़ुशी न मिली

कितनो को सुनाये अपने शिकवे गिले
कुछ ने दिलासा दी तो कुछ ने नकारा भी
गमो की दास्तान कहते कहते मेरी जुबां ही थक गयी
पर ख़ुशी न मिली मुझे ख़ुशी न मिली

दुनिया में मुझे कई लोग मिले
किसी ने देखा नफरत से तो कई  गले मिले
हर शख्स में ढूँढा मैंने अपनी ख़ुशी का कारण
पर ख़ुशी न मिली मुझे ख़ुशी न मिली


हरिओम 
१९ /०९ /११

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